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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
Her variety is claimed to be one of the most wonderful in every one of the a few worlds, a magnificence that is not merely Bodily but will also embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is frequently depicted being a resplendent sixteen-yr-old Woman, symbolizing Everlasting youth and vigor.
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
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तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥
From the pursuit of spiritual enlightenment, the journey commences Together with the awakening of spiritual consciousness. This Original awakening is crucial for aspirants who're with the onset in their path, guiding them to acknowledge the divine consciousness that permeates all beings.
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः
कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥